Psalms 96

1ख़ुदावन्द के सामने नया हम्द गाओ! ऐ सब अहल-ए-ज़मीन!  ख़ुदावन्द के सामने गाओ। 2ख़ुदावन्द के सामने गाओ, उसके नाम को मुबारक कहो;  रोज़ ब रोज़ उसकी नजात की बशारत दो।

3क़ौमों में उसके जलाल का, सब लोगों में उसके ’अजाइब का बयान करो। 4क्यूँकि ख़ुदावन्द बुज़ु़र्ग़ और बहुत। सिताइश के लायक़ है;  वह सब मा’बूदों से ज़्यादा ता’ज़ीम के लायक़ है।

5इसलिए कि और क़ौमों के सब मा’बूद सिर्फ़ बुत हैं; लेकिन ख़ुदावन्द ने आसमानों को बनाया। 6अज़मत और जलाल उसके सामने में हैं, क़ुदरत और जमाल उसके मक़दिस में।

7ऐ क़ौमों के क़बीलो! ख़ुदावन्द की, ख़ुदावन्द ही की तम्जीद-ओ-ताज़ीम करो ! 8ख़ुदावन्द की ऐसी तम्जीद करो जो उसके नाम की शायान है; हदिया लाओ और उसकी बारगाहों में आओ!

9पाक आराइश के साथ ख़ुदावन्द को सिज्दा करो; ऐ सब अहल-ए-ज़मीन! उसके सामने काँपते रहो! 10क़ौमों में ’ऐलान करो, “ख़ुदावन्द सल्तनत करता है! जहान क़ायम है, और उसे जुम्बिश नहीं; वह रास्ती से कौमों की ’अदालत करेगा।”

11आसमान ख़ुशी मनाए, और ज़मीन ख़ुश हो; समन्दर और उसकी मा’मूरी शोर मचाएँ; 12मैदान और जो कुछ उसमें है, बाग़-बाग़ हों; तब जंगल के सब दरख़्त खु़शी से गाने लगेंगे। ख़ुदावन्द के सामने, क्यूँकि वह आ रहा है; वह ज़मीन की ‘अदालत करने को रहा है। वह सदाक़त से जहान की, और अपनी सच्चाई से क़ौमों की ‘अदालत करेगा|

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